Indian Railway: 7000 से अधिक स्टेशनों के साथ दुनिया का चौथा सबसे बड़ा रेलवे नेटवर्क है, भारतीय रेलवे का. जिनमें से कुछ स्टेशन ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेजों द्वारा बनाए गए थे. यह स्टेशन आज भी देश का गौरव बढ़ा रहा है. आज हम ऐसे रेलवे स्टेशनों के बारे में जानेंगे जो आज भी देश की आन बान और शान हैं.
Indian Railway Station: अंग्रेजो द्वारा निर्मित 7 रेलवे स्टेशन
Indian Railway के पास वर्तमान में 7000 से अधिक रेलवे स्टेशन हैं. जहां से हर दिन 13000 से ज्यादा पैसेंजर ट्रेनें गुजरती हैं, ये संख्या सिर्फ पैसेंजर ट्रेनों की है, इसके अलावा इस रेलवे स्टेशन से गुजरने वाली गुड्स ट्रेंस यानी मालगाड़ियों की संख्या तो अलग है. Indian Railway की शुरुआत ब्रिटिश शासन के दौरान हुई थी. भारत की पहली रेलवे 16 अप्रैल 1853 को यानी लगभग 160 साल पहले मुंबई और ठाणे शहर के बीच केवल 34 किमी की दूरी के लिए शुरू हुई थी. इस समय में अंग्रेजों द्वारा कई रेलवे स्टेशन भी बनाए गए.
#1 Howrah Junction Railway Station
हावड़ा रेलवे स्टेशन ब्रिटिश शासन के दौरान बनाया गया सबसे पहला रेलवे स्टेशन है. हावड़ा रेलवे स्टेशन पश्चिम बंगाल के हावड़ा शहर का एक मुख्य रेलवे स्टेशन है. इस स्टेशन से पहली ट्रेन 15 अगस्त 1854 को हावड़ा-हुगली लाइन पर चली थी. 23 प्लेटफार्मों वाला यह स्टेशन भारत का सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन है.
#2 Royapuram Railway Station
अंग्रेजों द्वारा बनाया गया दूसरा रेलवे स्टेशन रोयापुरम (रायपुरम) रेलवे स्टेशन है. रोयापुरम रेलवे स्टेशन चेन्नई उपनगरीय रेलवे नेटवर्क के बालाजा पेट विभाग पर लोकेटेड है. दक्षिण भारत (South India) की पहली ट्रेन 1856 में इसी स्टेशन से चली थी. वर्ष 1922 में, अपने स्थानांतरण तक यह स्थान मराठों और मद्रास का मुख्यालय बना रहा.
#3 PT. Deen Dayal Upadhyaya Junction
अंग्रेजों द्वारा बनाया गया तीसरा रेलवे स्टेशन पंडित दीन दयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन है. पंडित दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन को पहले मुगल सराय रेलवे स्टेशन के नाम से जाना जाता था. बाद में इसका नाम बदल दिया गया. यह रेलवे स्टेशन उत्तर प्रदेश का मुख्य रेलवे स्टेशन है. जो बनारस से 6.5 किमी दूर लोकेटेड है. इस रेलवे स्टेशन को वर्ष 1862 में बनाया गया था, जब ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा हावड़ा और दिल्ली के बीच रेल लाइन शुरू की गई थी.
#4 Chhatrapati Shivaji Maharaj Terminus
अंग्रेजों द्वारा बनाया गया चौथा रेलवे स्टेशन छत्रपति शिवाजी टर्मिनस है. इस रेलवे स्टेशन का नाम तो आपने सुना ही होगा. मुंबई का छत्रपति शिवाजी टर्मिनस भारत का एक मुख्य रेलवे स्टेशन है. इस रेलवे स्टेशन को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Site) भी घोषित किया गया है. इस स्टेशन का निर्माण 1878 में पुराने बोरी बंदरगाह के दक्षिण में शुरू किया गया था. इस स्टेशन का निर्माण वर्ष 1887 में पूरा हुआ और उसके बाद इसका नाम महारानी विक्टोरिया के नाम पर रखा गया. लेकिन 1996 में इसका नाम बदलकर छत्रपति शिवाजी टर्मिनस कर दिया गया.
#5 Dehradun Train Station
देहरादून रेलवे स्टेशन, अंग्रेजों द्वारा निर्मित भारत का पाँचवाँ रेलवे स्टेशन है. देहरादून रेलवे स्टेशन उत्तराखंड का मुख्य रेलवे स्टेशन है. इसे 1897 से 1899 के बीच अंग्रेजों ने बनवाया था. यह रेलवे लाइन 1896 में चालू की गई थी. हालाँकि, इसका निर्माण बाद में शुरू किया गया था. इस रेलवे स्टेशन का उद्घाटन 1 मार्च 1900 को हुआ था.
#6 Lucknow Charbag Railway Station
लखनऊ चार बाग रेलवे स्टेशन अंग्रेजों द्वारा अपने शासनकाल के दौरान बनाया गया छठा रेलवे स्टेशन है. लखनऊ के सभी रेलवे स्टेशनों में से चार बाग रेलवे स्टेशन सबसे महत्वपूर्ण है. इसका निर्माण 1914 में शुरू हुआ और 1923 में पूरा हुआ. इस रेलवे स्टेशन को ब्रिटिश वास्तुकार J.H Hornimite ने डिजाइन किया था. हालाँकि, इसके निर्माण के दौरान भारतीय इंजीनियर चौबे मुक्ता प्रसाद ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इस रेलवे स्टेशन को बनाने में उस समय 70 करोड़ रुपए खर्च हुए थे. इस स्टेशन के सामने एक बड़ा पार्क है. इस स्टेशन के निर्माण में राजपूत, अवधि, मुगल और वास्तुशिल्प जैसी स्थापत्य शैलियों का प्रभाव दिखता है.
#7 New Delhi Railway Station
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन अंग्रेजों द्वारा बनाया गया भारत का सातवां रेलवे स्टेशन है. वर्ष 1926 में, ईस्ट इंडिया कंपनी ने अजमेरी गेट और बहारगंज के बीच एक स्थान पर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की स्थापना की. जिसके बाद इस स्टेशन का निर्माण शुरू किया गया. इसके बाद, वर्ष 1931 में इसका उद्घाटन किया गया. उद्घाटन के दौरान भारत के तत्कालीन वायसराय ने इसी स्टेशन से नई दिल्ली में प्रवेश किया था. वर्तमान में इस स्टेशन पर 16 प्लेटफार्म हैं।
तो ये थे ब्रिटिश शासनकाल के दौरान बनाये गये सात रेलवे स्टेशन जो आज भी हमारे देश के मुख्य स्टेशनों में गिने जाते हैं जो आज भी हमारे देश की शान बढ़ा रहे हैं.